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हमारी सदा- एक अफ़सोस

साधना के पथ पर
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मेरी सदा- एक अफ़सोस पिछले दिनों आप सभी द्वारा मेरी प्रेम कहानी ( मेरी सदा- एक अधूरी परन्तु सच्ची प्रेम कहानी ) पर प्राप्त प्रतिक्रियाओं और सुझावों को ध्यान में रखते हुए हम (अन्जानी-अनिल) एक नए जीवन की शुरुवात करने जा रहे हैं. अपनी अधूरी कहानी को मुकम्मल करने के अपने रिश्ते को खुबसूरत अंजाम देने जा रहे हैं. जिसको लेकर हम दोनों काफी प्रसन्न और उत्सुक है. परन्तु अफ़सोस इस बात का है कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर हमारे अपनों का आशीर्वाद साथ नहीं हैं. हम हर मुमकिन कोशिश कर लिए उन्हें मनाने की. पर अफ़सोस हम हर बार नाकामयाब रहे और हमें हमारे अपनों द्वारा डाट-फटकार, मार और धमकियों के सिवा कुछ नहीं मिला. हमें उनसे कोई शिकायत नहीं हैं और न ही कोई शिकायत इस समाज से है. हमें अपनों और समाज से बहुत कुछ मिला जो हमारी योग्यता और जरुरत से जयादा है. जिसके लिए हम दोनों दिल से आप सभी के आभारी हैं. परन्तु हमें शिकायत है उस विचार धारा से जो खुद को मर्यादित और सभ्य कहते हुए, मानवीय मूल्यों को नजर-अंदाज़ करते हुए अपने स्वार्थ और अहंकार वश हमारी खुशियों का गला घोटती हैं. हमें शिकायत है उस विचार धारा से जो स्वार्थ, सत्ता और वर्चस्व के अनुसार भारतीय संस्कृति को नज़र-अंदाज़ करते हुए झूठे परम्पराओं और रीति-रिवाज को जन्म देती है जिससे मानवता और मानवीय अधिकारों का हनन होता है.
हमने कभी नहीं सोचा था कि जिन अपनों के बिना हम एक पल नहीं रह पाते हैं एक दिन उनसे ही भागना पड़ेगा. आज हम अपने रिश्ते को एक खुबसूरत और पवित्र बंधन में बाँधने जा रहे हैं जिसे शादी कहते हैं परन्तु अफ़सोस अपनो से दूर होकर. एक ऐसी जगह जिसके बारे में हम कुछ ज्यादा नहीं जानते. अतः हमें नहीं पता कि हम कामयाब होंगे या नहीं, हमें नहीं पता कि हम जिन्दा अपनों के पास लौट पाएंगे कि नहीं, हमें नहीं पता कि हमारे अपने हमें अपनाएंगे कि नहीं. हम जानते हैं कि दुनिया में बहुत बुराई है पर कभी सामने से फेस नहीं किये हैं. हो सकता है कि इन्हीं बुराइयों का हम दोनों शिकार हो जाएँ और जिंदगी की तलाश में मौत हाथ लगे. .ऐसे तमाम सवाल ह्रदय में दबाये हुए एक खुबसूरत मोड़ की तलाश में हम दोनों निकल पड़े हैं. साथ ही ऐसे तमाम सवाल आपके बीच छोड़े जा रहे हैं ……आखिर हम बच्चों को अपनी इच्छा अनुसार शादी जैसे पवित्र रिश्ते में बंधने के लिए अपनों और अपने समाज से क्यों भागना पड़ता है जबकि धर्म, भगवन और कानून सभी हमें अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार दते है तो फिर इसे मुकम्मल करने के लिए आप सभी का आशीर्वाद क्यों नहीं? हमें आपकी जिंदगी जीने से कोई ऐतराज नहीं परन्तु हमें अपनी जिंदगी जीने का अधिकार चाहिए. हमें आपकी खुशियों से कोई ऐतराज नहीं परन्तु हमें अपनी खुशियाँ चाहिए. हमें आपके प्रति कर्तव्यों और दायित्वों का पूरा बोध हैं परन्तु भागवान के लिए इसके नाम पर हमारी खुशियों और अधिकारों का हनन मत करिए. झूठी मान-मर्यादा और अहंकार ने हम जैसे बहुतों को काल के गाल में भेज दिया. भगवान् के लिए अब आप सभी इस अमानवीय कुकृत्य को बंद करिए…………..आने वाले दिनों में हमारे साथ क्या होगा यह तो बताना मुश्किल है परन्तु हम आशा करते हैं कि जो भी होगा मानवता और हम जैसे बच्चों के हित में होगा. हम आशा करते हैं कि हमारी सदा उन माता-पिता के ह्रदय तक जरुर पहुंचेगी जो झूठे शान और मर्यादा के नाम पर अपने बच्चों के खुशियों का गला घोटते हुए उन्हें मौत के मुँह में झोक देते हैं जहाँ अंधेरों और दर्द- चीख के सिवा कुछ और नज़र नहीं आता. यदि हमारे प्रयास से एक भी माता-पिता अपने संतानों की खिशियों के लिए उन्हें आशीर्वाद देते और गले लगाते हैं, यदि इस प्रयास से एक भी जीवन हम बचाने में कामयाब रहे…………….तो हम समझेंगे कि हमारी कहानी आपके बीच लाने की सफल रही……………!
इस मुश्किल घड़ी में आपके प्यार और आशीर्वाद के इच्छुक ………………………………………….अब हम इस अनजाने सफ़र पर चलने की इजाजत चाहेंगे………………………….अन्जानी-अनिल मेरी सदा- एक अफ़सोस

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