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ससुरवां रास आ गइल

साधना के पथ पर
साधना के पथ पर
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होली मुबारक!

माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,

ससुरवां रास आ गइल.

उठी-सुती देखेनी सपनवां,
सजनवा रास आ गइल.
माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,
ससुरवां रास आ गइल.

कैसे के जाई नैहरवा,
फगुनवा मास आ गइल.
बाजे ढोल औरी नगड़वां,
फगुनवा मास आ गइल.

माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,
ससुरवां रास आ गइल.

सास-ससुर के हम दिल के टुकड़वा,
ससुरवां रास आ गइल.
देवर मिलले, लक्ष्मण समानवा,
ससुरवां रास आ गइल.

माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,
ससुरवां रास आ गइल.

सैयां मारे तिरछी नयनवा,
फगुनवा मास आ गइल.
रंग में डूबल, तन औरी मनवा,
फगुनवा मास आ गइल.

माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,
ससुरवां रास आ गइल.

घर- घर बाजे ढोल औरी नगड़वा,
फगुनवा मास आ गइल.
आज झूमे सगरे जहनवां,
फगुनवा मास आ गइल.

माई से कहीं द, न आइम नैहरवा,
ससुरवां रास आ गइल.

अनिल कुमार ‘अलीन’

( चित्र गूगल इमेज साभार )

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